बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 भूगोल बीए सेमेस्टर-3 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 भूगोल सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 3
पारिस्थितिकी तंत्र
(Ecosystem)
प्रश्न- पारिस्थितिकी तंत्र की संकल्पना, अवयव एवं कार्यप्रणाली की विवेचना कीजिए।
अथवा
"परिस्थिति विज्ञान पारितन्त्र की संरचना एवं प्रकार्यों का अध्ययन है।' समीक्षा कीजिये।
अथवा
पारिस्थितिकी की संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
अथवा
पारिस्थितिकी तन्त्र की संरचना एवं इसके कार्यों की व्याख्या कीजिये।
उत्तर -
पारिस्थितिक तंत्र की संकल्पना
सर्वप्रथम ए. जी. टेन्सले (A. G. Tensley) ने सन् 1935 में पारिस्थितिक तंत्र शब्द का प्रयोग किया। प्रत्येक जैव समुदाय के जीव एक-दूसरे से परस्पर अनुक्रिया करते हैं जिसके फलस्वरूप आवश्यक ऊर्जा एक पोषण स्तर से दूसरे और दूसरे से तीसरे में स्थानान्तरित होकर समुदाय के सभी जीवों की आधारभूत आवश्यकता की पूर्ति करती है। यह अनुक्रिया समुदाय के केवल जीवित प्राणियों तक ही सीमित नहीं होती है। स्वपोषी पौधे अजैविक वातावरण से विभिन्न भौतिक कारकों एवं रासायनिक पदार्थों जैसे सूर्य का प्रकाश, कार्बन, नाइट्रोजन ऑक्सीजन, फॉस्फोरस, जल आदि की परस्पर क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन व वसा का उत्पादन करते हैं। यही कार्बनिक पदार्थ खाद्य पदार्थ के रूप में विभिन्न उपभोक्ताओं की ऊर्जा तथा खनिज की आवश्यकता को पूर्ण करते हैं। जब उपभोक्ता की जीवन-क्रियाएँ समाप्त हो जाती हैं तो वह नष्ट हो जाता है और तब सूक्ष्म जीवी जीवाणु एवं कवक इनका विघटन करके खनिज पदार्थों को पुनः भूमि में तथा ऊर्जा व रासायनिक तत्वों को वातावरण में वापस मिला देते हैं। इस प्रकार इस ऊर्जा तथा खनिज पदार्थों का प्रवाह होता रहता है तथा यह चक्र लगातार चलता रहता है।
परिभाषा किसी भी स्थान के जीवीय समुदाय के सदस्यों तथा उनके चारों ओर उपस्थित वातावरण से पारस्परिक सम्बन्ध होता है और ये दोनों एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं। समुदाय के जीवों की रचना, कार्य व उनका वातावरण के पारस्परिक संबंध को पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं।
ओडम ने पारिस्थितिक तंत्र को निम्न प्रकार परिभाषित किया -
"पारितंत्र पारिस्थितिकी की वह मूलभूत इकाई है, जिसमें जैवीय तथा अजैवीय वातावरण एक- दूसरे पर अपना प्रभाव डालते हुए पारस्परिक अनुक्रिया द्वारा ऊर्जा एवं रासायनिक पदार्थों के निरंतर प्रवाह से उस तंत्र की कार्यात्मक गतिशीलता बनाये रखते हैं।'
पारिस्थितिक तंत्र की संरचना पारिस्थितिक तंत्र की संरचना दो घटकों से मिलकर होती है इन्हें क्रमशः जीवीय तथा अजीवीय घटक के नाम से जाना जाता है।
(1) जैवीय घटक पारिस्थितिक तंत्र के इस घटक में सभी जीवित जीव सम्मिलित हैं। जैवीय घटक निम्नलिखित होते हैं -
(i) उत्पादक या स्वपोषित घटक पारितंत्र के स्वपोषी घटक में उत्पादक या ऊर्जा पारिक्रमी सम्मिलित है। इसके अन्तर्गत वे सभी हरे पौधे आते हैं जो प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की क्रिया द्वारा CO2 एवं जल को पर्णहरिम की उपस्थिति में सूर्य के प्रकाश द्वारा ग्लूकोज में परिवर्तित करते हैं। यह ग्लूकोज पौधों में भोजन के रूप में एकत्रित होता रहता है और श्वसन क्रिया के फलस्वरूप ऊर्जा प्रदान करता है। यही ऊर्जा विभिन्न जैविक क्रियाओं में काम आती है।
नोट- "प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में CO2 का अपचयन (reduction) तथा जल का उपचयन (oxidation) होता है।'
कुछ प्रकाश संश्लेषी बैक्टीरिया तथा रसायन संश्लेषी रोगाणु (microbes) भी कार्बनिक पदार्थ के निर्माण में सहायता करते हैं। जैसे नीले-हरे शैवाल, सल्फर जीवाणु।
(ii) परपोषी घटक या उपभोक्ता इनमें प्रकाश संश्लेषण की क्षमता नहीं होती है। ये अपना भोजन प्राथमिक उत्पादों ( हरे पौधों) अथवा अन्य जीवधारियों को खाकर प्राप्त करते हैं। प्राथमिक उत्पादों को ग्रहण करने वाले जीवधारियों को शाकाहारी (herbivorous ) तथा इन शाकाहारी जीवों को खाने वाले अन्य जीवधारियों को मांसाहारी (carnivorous) कहते हैं। उपभोक्ता जन्तु पौधों को या उनके भागों को भोजन के रूप में लेकर उनमें संचित कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में परिवर्तित करते हैं। जिसके फलस्वरूप शरीर में अन्य नये ऊतकों व कार्बनिक पदार्थों का निर्माण होता है। इस प्रकार जन्तुओं में भी उत्पादन की क्रिया होती है। इसी कारण परपोषी उपभोक्ता जन्तुओं को द्वितीयक उत्पादक (secondary producers) की भी संज्ञा दी जाती है। उपभोक्ताओं को निम्न श्रेणियों मे बाँटा गया है -
(a) प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता इस श्रेणी के अन्तर्गत वे जन्तु आते हैं जो प्राथमिक उत्पादक या हरे पौधों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। इन्हें शाकाहारी कहते हैं। हिरन, बकरी, गाय, चूहा, टिड्डा इस श्रेणी के उदाहरण हैं।
(b) द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता जो जीवधारी अपना भोजन शाकाहारी जन्तुओं को खाकर प्राप्त करते हैं उन्हें द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता या मांसाहारी कहते हैं। उदाहरण चूहे को बिल्ली, हिरन को भेड़िया, टिड्डे को मेंढक द्वारा खाया जाना। इन उदाहरणों में मेंढक, भेड़िया, बिल्ली द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता हैं।
(c) तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता इस श्रेणी के अन्तर्गत वे मांसाहारी जीव आते हैं जो द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं द्वारा अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
उदाहरण चिड़िया द्वारा मछली को तथा सांप द्वारा मेंढक को खाया जाना। इसमें चिड़िया तथा सांप तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता हैं।
(d) उच्च मांसाहारी इस श्रेणी के अन्तर्गत वे मांसाहारी जीव आते हैं जो सभी श्रेणी के मांसाहारियों को खाकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं परन्तु इन्हें कोई अन्य जन्तु मारकर नहीं खा सकता है। उदाहरण- शेर, चीता।
कुछ उपभोक्ता अन्य जीवों के ऊपर निवास करते हैं और उनसे ही अपना भोजन प्राप्त करते हैं इन्हें परजीवी (parasites) कहते हैं। कुछ जन्तु शाकाहारी व मांसाहारी दोनों प्रकार के होते हैं अर्थात् वे सब कुछ भोजन के रूप में खा सकते हैं। उदाहरण- मनुष्य।
अपघटनकर्ता जो जीवीय घटक उत्पादकं तथा उपभोक्ता की मृत्यु के पश्चात् उसके शरीर का अपघटन करते हैं तथा अपघटन के फलस्वरूप निर्मित साधारण पदार्थों द्वारा अपना भोजन एवं ऊर्जा प्राप्त करते हैं ऐसे जीवों को अपघटनकर्ता या अपघटक कहते हैं। इस श्रेणी के अन्तर्गत जीवाणु (bacteria). एक्टिनोमाइसिटीज (Actinomycetes) तथा कवक आते हैं। इन्हें मृतपोषी भी कहते हैं। ये मृत या जीवित जीवद्रव्य की जटिल संरचना को वियोजित करके सरल कार्बनिक पदार्थों में से कुछ का अवशोषण करते हैं तथा अन्य अकार्बनिक पदार्थों को वातावरण में वापस विमोचित करते हैं जिसे फिर से स्वपोषी प्राप्त करते हैं।
अपघटक मृत पौधों तथा जन्तुओं का अपघटन करके पृथ्वी की सफाई करते हैं। इसलिए इन्हें प्रकृति का मेहतर (scavengers) भी कहा जाता है।
(2) अजीवीय घटक अजैविक घटक के अन्तर्गत निर्जीव वातावरण आता है। यह विभिन्न जीवीय घटकों को नियंत्रित करता है। अजीवीय घटक को अकार्बनिक, कार्बनिक एवं भौतिक तीन घटकों में विभाजित किया जा सकता है।
(i) अकार्बनिक घटक इसके अन्तर्गत अकार्बनिक तत्व जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम नाइट्रोजन, पोटैशियम तथा सल्फर आदि और वायुमण्डल की गैसें ऑक्सीजन (O2). नाइट्रोजन (N2), कार्बन डाइऑक्साइड (CO 2 ) तथा अमोनिया आदि भी सम्मिलित हैं। जल भी एक महत्वपूर्ण अकार्बनिक घटक है। पारिस्थितिक तंत्र को इन पदार्थों की किसी भी समय उपस्थिति को स्थायी गुणता (standing quality) के नाम से भी जाना जाता है।
(ii) कार्बनिक घटक इसके अन्तर्गत मृत जन्तुओं एवं पौधों के कार्बनिक यौगिक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा और अपघटन द्वारा उत्पन्न पदार्थ ह्यूमस (humus) व यूरिया आदि आते हैं। अकार्बनिक रसायन जैसे पर्णहरिम और कार्बनिक पदार्थ की मात्रा और वितरण जो जीवभार या पर्यावरण में उपस्थित होता है इसे जैव रासायनिक संरचना भी कहते है, क्योंकि यह पारिस्थितिक तंत्र के जीवीय तथा अजैविक घटकों को आपस में जोड़ती है।
(iii) भौतिक घटक इसके अन्तर्गत दिये गये क्षेत्र के जलवायुवीय कारक आते हैं जैसे- प्रकाश, ताप, हवा व विद्युत। सौर ऊर्जा सबसे प्रमुख भौतिक घटक है जिसे हरे पौधे का पर्णहरिम विकिरण ऊर्जा के रूप में लेता है। पौधे इस भौतिक ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं। जो पौधों के अन्दर कार्बनिक पदार्थ के रूप में संचित रहती है। यही ऊर्जा सम्पूर्ण जीवीय समुदाय में प्रवाहित होती है और इसी के द्वारा पृथ्वी पर जीवन सम्भव है।
पारिस्थितिक तंत्र के कार्य
पारिस्थितिक तंत्र की कार्य-प्रणाली को समझने के लिए उसकी संरचना का ज्ञान होना आवश्यक है कोई भी पारिस्थितिक तंत्र प्राकृतिक दशाओं के अनुरूप अपना कार्य करता है। इसके अन्तर्गत हम उन बातों का अध्ययन करते हैं जैसेकि हरे पौधे एक वर्ष में कितना प्रकाश ग्रहण करते हैं, शाकाहारी जीवधारी कितना भाग हरे पौधों का खाते हैं तथा कितने शाकाहारी, मांसाहारी जीवों द्वारा खाये जाते हैं।
संरचनात्मक तथा कार्यात्मक रूप से पारिस्थितिक तंत्र के जैविक और अजैविक घटक के बीच इतना घनिष्ठ सम्बन्ध होता है कि उन्हें अलग करना बहुत ही कठिन है। हरे पौधे (उत्पादक) सूर्य की विकिरण ऊर्जा का स्थायीकरण तथा मृदा में पाये जाने वाले खनिज तत्वों (C, H, O, N, P, Ca, Mg, Fe, Zn ) की सहायता से या वातावरण में पाये जाने वाले तत्वों के साथ जटिल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करते हैं। कुछ वैज्ञानिक उत्पादक शब्द के स्थान पर परिवर्तक या पारक्रमी के प्रयोग को अधिक उचित बताते हैं क्योंकि उत्पादक शब्द ऊर्जा की दृष्टि से उपयुक्त नहीं लगता है। पारिस्थितिक विज्ञानी यह तथ्य रखते हैं कि हरे पौधे कार्बोहाइड्रेट (रासायनिक पदार्थ) को बनाते हैं न कि ऊर्जा को। चूँकि ये सौर ऊर्जा को रासायनिक रूप में परिवर्तित करते हैं अतः इन्हें परिवर्तक कहना अधिक उपयुक्त होगा। किसी एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह अचक्रीय ढंग (एक दिशीय) से सूर्य से अपघटनकर्ता तक और शाकाहारी से मांसाहारी की ओर बढ़ता है। जबकि खनिज पदार्थ चक्रीय ढंग से प्रवाहित होते रहते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र की उत्पादकता "किसी इकाई समय में एकत्र होने वाले जैव पदार्थ की मात्रा को पारिस्थितिक तंत्र की उत्पादकता कहा जाता है।' पारिस्थितिक तंत्र की उत्पादकता उत्पादन की दर को प्रदर्शित करती है। उत्पादकता के निम्न प्रकार होते हैं -
(1) प्राथमिक उत्पादकता इसका सम्बन्ध स्वपोषी उत्पादकों से है जो अधिकतर प्रकाश- संश्लेषी तथा कुछ रसायन-संश्लेषी जीव होते हैं। प्राथमिक, उत्पादकता को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है -
'वह दर जिस पर सूर्य की विकिरण ऊर्जा उत्पादकों की प्रकाश संश्लेषी और रसायन-संश्लेषी क्रियाओं द्वारा एकत्र होती है। प्राथमिक उत्पादकता को निम्न भागों में पृथक किया गया है -
(a) सकल प्राथमिक उत्पादकता यह प्रकाश संश्लेषण की कुल दर को प्रदर्शितं करता है। जिसमें मापन काल के दौरान श्वसन में प्रयुक्त हुए जैव पदार्थ आते हैं। सकल प्राथमिक उत्पादकता पर्णहरिम के अंश पर निर्भर करती है। प्राथमिक उत्पादकता की दरों का पर्णहरिम प्रतिग्राम शुष्क भार प्रति इकाई क्षेत्रफल द्वारा या प्रकाश संश्लेषी संख्या जोकि कार्बन डाइऑक्साइड की स्थिरीकृत मात्रा प्रति ग्राम पर्णहरिम प्रति घंटा द्वारा आकलित किया जाता है।
अतः प्राथमिक उत्पादकता = पर्ण हरिम (Chlorophyll) ग्राम, शुष्क भार / इकाई क्षेत्रफल
अथवा
CO2 की स्थीरीकृत मात्रा / ग्राम पर्णहरिम / घण्टा
(b) नेट प्राथमिक उत्पादकता यह श्वसन में प्रयुक्त होने के उपरान्त शेष जैव पदार्थ की मात्रा है जो पादपों में अधिकता में संचित रहती है। अतः मापन अवस्था के दौरान पौधों द्वारा प्रायोगिक श्वसन की अधिकता में पादप ऊतकों में कार्बनिक पदार्थ के संचयन की दर है। प्राथमिक उत्पादकता को निम्न विधियों द्वारा मापा जाता है- ऑक्सीजन मापन विधि (Oxygen measurement method) कार्बन डाइऑक्साइड मापन विधि ( Carbon dioxide measurement method), रेडियो आइसोटोप विधि |
2. द्वितीयक उत्पादकता ऊर्जा की वह दर जो उपभोक्ता के स्तर पर संचित होती है। चूँकि उपभोक्ता पहले से ही निर्मित पदार्थ को भोजन के रूप में लेते हैं और श्वसन क्रिया द्वारा उसमें संचित ऊर्जा का इस्तेमाल कार्यों के लिए करते हैं। प्राथमिक उत्पादकता की तरह द्वितीयक उत्पादकता को सकल और नेट मात्रा में नहीं बाँटा जा सकता है। द्वितीयक उत्पादकता गतिशील होती है, क्योंकि इसका संचरण एक जीव से दूसरे जीव में होता रहता है और प्राथमिक उत्पादकता के समान एक ही स्थान पर नहीं रहती है।
3. नेट उत्पादकता जैव पदार्थ की वह संचित दर जो परपोषी या उपभोक्ता द्वारा उपयोग में नहीं लायी जाती। यह प्राथमिक उत्पादकता तथा उपभोक्ता द्वारा उपयोग में ली गयी मात्रा के अन्तर के तुल्य होती है जो किसी परपोषी द्वारा इकाई समय जैसे एक वर्ष या एक ऋतु में उपयोग में लायी जाती है। नेट प्राथमिक उत्पादकता को Cg2 / day में व्यक्त किया जाता है।
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- प्रश्न- पर्यावरण के कौन-कौन से घटक हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण की परिभाषायें बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण के विषय क्षेत्र को बताइए तथा इसके सम्बंध में विभिन्न पहलुओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के मुख्य तत्व कौन-कौन से हैं? स्पष्टतया समझाइए।
- प्रश्न- पर्यावरण भूगोल के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के संघटकों को समझाइए।
- प्रश्न- पर्यावरण के जैविक तत्वों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी की मूलभूत संकल्पनाओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकीय असंतुलन के कारणों का परीक्षण कीजिए एवं उसे दूर करने के उपायों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक संतुलन की सुरक्षा हेतु कारगर योजना नीति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी क्या है?
- प्रश्न- पारिस्थितिकी की परिभाषायें बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी के उद्देश्यों को बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी समस्याओं के कारकों को बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिक सन्तुलन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जैविक संघटक के आधार पर पारिस्थितिकी का वर्गीकरण कीजिए।
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- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण के प्रभाव बताइये।
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- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण के सामान्य कारणों को बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण संतुलन से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषक क्या है? इनके प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण क्या है?
- प्रश्न- वायु प्रदूषण की परिभाषा बताइये।
- प्रश्न- वायु प्रदूषकों के प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में वायु प्रदूषण की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण का पर्यावरण में प्रभाव को बताइए, तथा विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण रोकने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण की प्रकृति को बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- गंगा प्रदूषण पर निबंध लिखिए या गंगा प्रदूषण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किन प्रमुख स्रोतों से गंगा का जल प्रदूषित हो जाता है कारण बताइए।
- प्रश्न- गंगा जल प्रदूषण को रोकने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण के प्रभावों को बताइए तथा इन कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ध्वनि प्रदूषण के कारण एवं नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मृदा प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- मृदा की गुणवत्ता में हास या अवनयन किन-किन कारणों से होता है, बताइए?
- प्रश्न- मृदा प्रदूषण के कारकों को बताइए तथा मिट्टी प्रदूषकों के नाम बताइए।
- प्रश्न- मिट्टी प्रदूषण के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- मिट्टी प्रदूषण के कुप्रभाव बताइए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्टों के घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट प्रदूषण की परिभाषा बताइए।
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- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट के प्रकार बताइये तथा प्रत्येक की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्टों का प्रदूषण में क्या योगदान है विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- जल संरक्षण की विधियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट क्या है?
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- प्रश्न- टाइगर प्रोजेक्ट के विशेष सन्दर्भ में वन्य जीवन परिसंरक्षण की सार्थकता की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- नर्मदा घाटी से सम्बन्धित पर्यावरणीय चिन्ताएँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गंगा एक्शन प्लान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी बाँध परियोजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी बाँध परियोजना के क्या उद्देश्य थे?
- प्रश्न- भारत में कितने टाइगर अभयारण्य हैं?
- प्रश्न- भारत में टाइगर प्रोजेक्ट योजना का निर्माण क्यों आवश्यक था?
- प्रश्न- गंगा कार्य योजना (गंगा एक्शन प्लान) के संस्थागत पहल के विषय में बताइए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन को समझना क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- ग्लोबल वार्मिंग क्या है? इसके मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक उष्णता से आप क्या समझते हैं? इसके कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हरित गृह प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हरित गैस के प्रमुख स्रोत बताइए।
- प्रश्न- हरित गृह द्वारा कौन-कौन सी समस्यायें उत्पन्न होती हैं? समझाइए।
- प्रश्न- हरित गृह प्रभाव की रोकथाम को बताइए।
- प्रश्न- ओजोन क्षरण से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ओजोन परत क्षरण के कारण लिखिए।
- प्रश्न- भूमण्डलीय ताप वृद्धि के प्रभाव क्या है?
- प्रश्न- प्रमुख भूमण्डलीय समस्याओं को बताइये।
- प्रश्न- भूमण्डलीय तापन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम पृथ्वी सम्मेलन (रियो सम्मेलन) के प्रमुख मुद्दों को बताइए।
- प्रश्न- प्रथम पृथ्वी सम्मेलन के मुद्दों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक ताप वृद्धि के निवारक उपाय बताइए।
- प्रश्न- भारतीय पर्यावरण विधियों (अधिनियमों) की कमियाँ बताइये।
- प्रश्न- भारत पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक जलवायु आकलन आई.पी.सी.सी. पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आई.पी.सी.सी. की मूल्यांकन रिपोर्ट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल की व्याख्या कीजिए एवं आई.पी.सी.सी. की आकलन रिपोर्ट बताइए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन क्या है एवं इसके कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन के संभावित वैश्विक प्रभाव को बताइए।
- प्रश्न- एशियाई क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना का वर्णन एवं इसके मिशन को भी बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सौर मिशन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- सुस्थित निवास पर राष्ट्रीय मिशन का लक्ष्य बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय जल मिशन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन का लक्ष्य क्या है .
- प्रश्न- सुस्थिर कृषि पर राष्ट्रीय मिशन की व्याख्या करें।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीति ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "जलवायु परिवर्तन एवं भारतीय स्थिति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में भारत और अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन के प्रतिकार के प्रस्ताव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु हितैषी उपायों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर निगरानी रखने से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अनुसंधान क्षमता और संस्थागत आधारभूत संरचना का निर्माण जलवायु परिवर्तन के लिये क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर शैक्षिक ढाँचा क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप से क्या आशय है? प्राकृतिक एवं मानव जनित प्रकोपों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप तथा विनाश का अर्थ एवं परिभाषा को बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रकोप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानव जनित प्रकोप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रकोप के प्रति सामाजिक प्रतिक्रिया की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रकोपों तथा आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए प्रबंधन के अन्तर्गत किन- किन पक्षों को सम्मिलित किया जाता है।
- प्रश्न- Idndr के तहत प्रकोप नयूनीकरण कार्यक्रम के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- सूखा प्रकोप से आप क्या समझते हैं? सूखा प्रकोप के प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- सूखा नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- बाढ़ प्रकोप से आप क्या समझते हैं? बाढ़ के कारण बताइए।
- प्रश्न- बाढ़ नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भूकम्प प्रकोप का सामान्य परिचय देते हुए उनके प्रभावों को बताइए।
- प्रश्न- भारत के जोखिमकारी अवशिष्टों का प्रबन्धन क्यों आवश्यक है एवं देश में जोखिमकारी अवशिष्टों को पर्यावरणीय अनुकूलन की दृष्टि से प्रबन्धित करने हेतु विभिन्न हस्तक्षेपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से जैव विविधता के सामने प्रस्तुत खतरे और समाधान को बताइए।
- प्रश्न- "आक्रामक विजातिय प्रजातियों से नियंत्रित होने का खतरा बना रहता है। कथन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जोखिमकारी अवशिष्टों के उत्पन्न होने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- अवशिष्टों की उत्पत्ति पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है?
- प्रश्न- "पुनर्उपयोग, पुनः प्राप्त करना पुनर्चक्रणीय जोखिमकारी अवशिष्ट" की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जोखिमकारी नियामक ढाँचे से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- 'अधिवास के नुकसान से दबाव, अवमूल्यन में कमी से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय वानिकी और पारिस्थितिकीय विकास बोर्ड के कार्य बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार एवं आपदा प्रबन्धन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कृषि व सिंचाई की दृष्टि से जल की उपलब्धता व सूखे का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूखा-प्रणत क्षेत्र कार्यक्रम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपदा के समय क्या करना एवं क्या न करना चाहिए?
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाएँ एवं प्रबन्धन के विषय में बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाओं से अत्यधिक प्रभावित राज्य कौन से हैं?
- प्रश्न- सूखा अथवा अनावृष्टि को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- जल की उपलब्धता पर सूखे के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुनामी आपदा क्या है? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तटों पर सुनामी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 26 दिसम्बर 2004 का सुनामी आपदा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुनामी द्वारा लाये गये परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 2013 की अनावृष्टि (सूखा) का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- परमाणु आपदा का विवरण दीजिए। इससे होने वाले विनाशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक आपदा क्या है? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- किसी आपात या रासायनिक आपात स्थिति के दौरान क्या करना चाहिए?
- प्रश्न- नाभिकीय / रेडियोधर्मी प्रदूषण को रोकने के उपाय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भू-स्खलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।